Monday, August 2, 2010

पाकिस्तान का चेहरा हुआ बेनकाव

पाकिस्तान का चेहरा हुआ बेनकाव
अफगानिस्तान में भारतीयों के खिलाफ आतंकी हमलों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के शामिल होने संबंधी जानकारियों को वाइकीलीक्स नामक वेबसाइट ने सावजनिक रूप से पाकिस्तान के शामिल होने की बात उजागर की है। जिससे सरकारी हलकों में मिश्रित प्रतिक्रिया शुरू हो गयी है।
पाकिस्तान के खुफिया और सरकारी हलकों में लोगों का मानना है कि यह पाकिस्तान पर दबाव बनाने और इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस (आईएसआई) सहित उसकी अन्य खुफिया एजेंसियों को एक और विवाद में उलझाने का प्रयास है। एक वर्ग का मानना है कि यह उन घटनाओं का खुलासा है जिनकी परिणति अफगानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में हुई। लीक हुए ज्यादातर दस्तावेजों में ज्यादा जोर अफगानिस्तान में अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा बलों पर होने वाले हमलों के बारे में बताया है। इन दस्तावेजों में नागरिकों के हताहत होने पर चिंता जाहिर की गई है। अमेरिकी दैनिक "न्यूयार्क टाइम्स" के अनुसार लीक हुए दस्तावेजों में कहा गया है कि पाकिस्तानी सेना ने दुश्मन और दोस्त दोनों ही भूमिकाएं निभाई हैं क्योंकि उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने हमलों की साजिश रचने में अलकायदा का साथ दिया है। इस दोहरे नीति को लेकर अमेरिकी अधिकारी अर्से से पाकिस्तान पर शक करते रहे हैं। अमेरिकी अधिकारी पहले भी एक ब़डे हमले में आईएसआई की भूमिका के सबूतों का खुलासा कर चुके हैं। जुलाई 2008 में सीआईए के उपनिदेशक स्टीफन आर.कैप्स ने काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर आत्मघाती हमले की साजिश में आईएसआई द्वारा मदद किए जाने संबंधी इन सबूतों के बारे में पाकिस्तानी अधिकारियों से बातचीत की थी। अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंध हमेशा से शंकाओं के घेरे में रहा है। पाकिस्तानी अवाम की यह राय रही है कि अमेरिका उसे कमतर आंकता है। ऎसे में अमेरिका द्वारा इन सैन्य दस्तावेजों के इस प्रकार सार्वजनिक होने की जांच का आदेश दिए जाने भर से आलोचकों का मुंह बंद करना आसान नही होगा। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के अनुसार आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान ने किसी भी अन्य मुल्क से ज्यादा कुर्बानी दी है और अमेरिका इन कुर्बानियों से सिर्फ अवगत ही नहीं है, बल्कि वह इनकी सराहना भी करता है। पाकिस्तान के रवैये से अमेरिका पूरी तरह अवगत हो गया, ऐसे में अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ क्या कारवाई करता है यह देखने वाली बात होगी। पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यहां तक कह डाला कि ऐसे आरोप अब असामान्य नहीं हैं और इनसे निपटने का सही तरीका यही है कि इन्हें मुस्कुरा कर नजरंदाज कर देना चाहिए।

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