Tuesday, September 9, 2008

नशा बना समाज के लिए अभिशाप

नशा हमारे समाज के लिए सबसे बडा कलंक है क्योंकि हमारे समाज में नशे का आतंक बढता जा रहा है । जिसका शिकार आज के युवा पीढि हो रहे हैं । उनमें अधिकांश स्कूल कालेज में पढने वाले बच्चे शामिल हैं । नशा का प्रयोग लोग खुशियों या गमों मे दोनों में करते है, जो हमारे लिए नुकशानदेह है । कहते हैं कि नशा करने पर लोगों को सकुन सा अनुभव होता है । उसे भी एक अजीब सी खुशी का एहसास होता है । नशा का प्रयोग अधिक मात्रा मे लोग करने लगे तो वह नशा का गुलाम बन जाता है जिसे नही मिलने पर वह पूरी तरह परेशान हो जाता है जैसे जल के बिना मछली । जो इसके लिए यह नशा मौत बनकर सर पर मडराने लगती है ।

समय के भागते-दौड मे लोग इतने व्यस्त हो गए है कि आए दिन पारिवारीक तथा काम का बोझ के साथ पैसे कमाने की ललक में मानसिक एवं शारीरिक रूप से परेशान हो जाते है । जिसके कारण वे परेशानियों से बचने के लिए नशा का प्रयोग करते हैं । नशा चाहे बीडी-सिकरेट, तम्बाकू ,शराब की हो या अफीम, गांजा हरोइन और स्मैक की सभी तो नशीली पर्दाथ ही हैं जो लोगों को कमजोर बना देता है । नशा के आदि लोग नशा पर इतने आश्रित हो जाते है कि उसके बिना उसकी जिंदगी अधूरा है मानो वह मौत को बुला रहा है । समाज हो या हमारी सरकार इन सभी को देख रही है फिर भी हाथ पर हाथ रखे बैठे हैं जो नशा को रोकने मे असफल साबित हो रहे हैं । आखिर सवाल यह है कि इस नशा पर अंकुश कैसे लगाया जाए , जहां जान कर भी अनजान बने बैठे हैं, रोकने के बजाए तमाशबीन बने इस हालात को देखे जा रहे हैं । अगर इस समस्या पर ध्यान ना दिया गया तो अगामी दिनों में हमारा भारत नशेडियों का भारत बन जाएगा ।

नशा की चपेट मे पंजाब की तरह दिल्ली भी अछूता नही रहा है ,जहां हाल फिलहाल 500 करोड रूपए का मादक पर्दाथ पकडा जा चुका है वही पंजाब के 80 प्रतिशत लोग नशे की चपेट में है । आज बच्चे, बुढे, नौजवान के साथ महिलायें भी इस नशे की जाल में फसती जा रही है ,आखिर सफल समाज एंव देश का सपना देखना बेमानी होगा । इस नशा पर कई फिल्में बनी पर इसमे सुधार की जगह ये बढता ही जा रहा है ।

नशा पर कई कानून बने लेकिन वह भी असफल रहा आखिर इसका जिम्मेदार और कोई नही हम सभी है जो इसे रोक पाने मे असमर्थ है । एन.डी.पी.सी ने जो कानून बनाए वह सख्त तो है लेकिन उसका सही इस्तेमाल ना होने से अच्छे परिणाम का कल्पना करना दिन में तारे गीनने के बराबर है । आखिरकार नशा हमारे समाज एंव देश के लिए सबसे बडा कलंक है जिसे मिटाने के लिए जरूरत है लोगों के बीच जागरूकता फैलाना । कहते है कि सरकार भी कम दोषी नही है क्योंकि उन्हें इस मादक पदार्थ मे से सबसे ज्यादा आमदनी होती है । तभी कहा गया है कि –

आपने ऐसा मसीहा देखा है क्या ?
जख्म देकर जो पूछे दर्द होता क्या ?

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