Wednesday, September 24, 2008

मंहगी हुई शिक्षा

मंहगी हुई शिक्षा

छोटे छोटे मासुम बच्चे जिनके आखो में सपने होते है लेकिन उनका सपना कैसे पुरा हो यही सवाल हम सब के सामने है । ज़िंदगी की एक ऐसी सच्चाई जहा एक तरफ अमीरी तो दुसरी तरफ गरीबी ,पर उम्मीद किसी बडे या अमीर घरो में ही नही गरीब घरो में भी होती है जहाँ हर कोई अपने बच्चे के उज्जवल भविष्य की कामना करते है ।

ऐसे कई परिवार है जिनकी ज़िंदगी दो वक्त की रोटी जुटाने में ही खत्म हो जाती है लेकिन समय के भागते दौड में उनकी सोच तथा सरकार का एक सफल प्रयास उन गरीब मासुम बच्चो के लिए एक नया सपना लेकर आती है ,वह सरकार की सफल योजना मिड डे अथार्त बच्चो की शिक्षा के प्रति जागरूकता का एक सफल प्रयास है जहाँ बच्चो को दोपहर में भोजन खिलाया जाता है इतना ही नही पढने के लिए कौपी किताब तक दी जाती है ताकि अधिक से अधिक बच्चे इसका फायदा उठा सके ।

दुसरी तरफ बात करे उन प्राईवेट स्कुलो की बात करें तो वो सीर्फ अमीर बच्चों के लिए है क्योंकि यहां सीर्फ अमीर बच्चे ही पढ सकते हैं गरीब नही जो इन गरीब बच्चों से कौसो दुर भाग रही है अर्थात गरीब बच्चो के लिए सपना देखना दिन में तारे गिनने के बराबर है लेकिन जरूरत है इन गरीब बच्चों के लिए हौसला ,हिम्मत और लगन की जो इस बच्चो को सफलता से कोई नही रोक सकता । आए दिन समय इतना भयावह होता जा रहा है कि बच्चे अपने शिष्ठाटार को भुलते जा रहे है जिंदगी के बदलाव ने उन्हे इन चीजों से महरूम कर दिया है जिससे संस्कार उनसे कौसो दुर भाग रही है कारण परिवार का टूटना और बच्चों को कम उम्र में अपनों से दूर रखना ।इतना ही नही बच्चों पर बढते अत्याचार ने हम सभी के सामने एक समस्या खडी कर दी है जहां हम सभी परेशान है चाहे शिक्षक की करतूत हो चाहे उनका कतवर्य से विमुख होना । बच्चे इतने मासुम होते है की इन अत्याचार को भी सह लेते है लेकिन इनकी दर्द की सच्चाई को कोई जानने नही आया । आज देखा जाए तो यह एक गंभीर समस्या बन कर हम सभी के सामने है । इसलिए तो सवाल कई है पर जवाब उन सवालो के सामने कम परते जा रहे है आखिर क्या होगा इन बच्चों का..............।

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