Monday, September 1, 2008

जिंदगी-खुशी और गम

सफर मे धूप तो होगी, जो चल सके तो चलो
सभी है भीड मे, तुम निकल सको तो चलो
यहां किसी को रास्ता नही देता
मुझे गिरा के अगर तुम संभल सको तो चलो ।


मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया,
हर फिक्र को धुंए में उड़ाता चला गया,
बरबादियों का सोग मनाना फिजूल था
बरबादियों का जश्न मनाता चला गया,
जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया,
जो खो गया मैं उस को भुलाता चला गया,
गम और खुशी में फर्क न महसूस हो जहां
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया

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